ghazal
Zara Sa Waqt Kahin Be Sabab Guzarte Hain - Sad Urdu Ghazal In Hindi
ذرا سا وقت کہیں بے سبب گزارتے ہیں
چلو یہ شام سر جوئے لب گزارتے ہیں
تو اک چراغ جہان دگر ہے کیا جانے
ہم اس زمین پہ کس طرح شب گزارتے ہیں
ہمارا عشق ہی کیا ہے گزارنے والے
یہاں تو نذر میں نام و نسب گزارتے ہیں
خراج مانگ رہی ہے وہ شاہ بانوئے شہر
سو ہم بھی ہدیۂ دست طلب گزارتے ہیں
سنا تو ہوگا کہ جنگل میں مور ناچتا ہے
ہم اس خرابے میں فصل طرب گزارتے ہیں
बिना किसी कारण के कुछ समय कहीं व्यतीत करें
आइए आज शाम अच्छा समय बिताएं
तो एक दीपक अलग दुनिया है
हम इस धरती पर रात कैसे बिताते हैं?
हमारा प्यार क्या है?
यहां नाम और वंश का व्रत मन्नतों में व्यतीत होता है
वह शाह बानोय शहर से श्रद्धांजलि की मांग कर रही हैं
तो हम भी मदद मांगते हैं
आपने सुना ही होगा कि जंगल में मोर नाचता है
हम इस झंझट में पनपते हैं